प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर एक उच्च माध्यमिक/माध्यमिक विद्यालय को आदर्श विद्यालय के रुप में चिहिृत किया गया है, जिसका उद्देश्य राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था को उन्नत करना एवं बच्चों के शैक्षिक स्तर को विकसित करना है। इसके अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्र में सत्र 2015&16 में 1340, सत्र 2016&17 में 3097 तथा सत्र 2017&18 में 5458 विद्यालयों को (कुल 9895 ग्रामीण आदर्श विद्यालय) एवं सत्र 2017&18 में शहरी क्षेत्र के 281 विद्यालयों को आदर्श विद्यालय के रूप में चिन्ह्ति कर विकसित किया जा रहा है।
अब तक कुल 9,895 ग्रामीण क्षेत्र के आदर्श विद्यालयों में से 5,590 तथा शहरी आदर्श के कुल 281 विद्यालयों में से 197 आदर्श विद्यालय विकसित हो चुके हैं। इस प्रकार कुल 5,787 आदर्श विद्यालयों को पूर्ण रूप से विकसित किया जा चुका है।
राज्य में आदर्श विद्यालयों को विकसित करने हेतु नामांकन अनुसार कक्षा कक्ष, क्रियाशील शौचालय, विद्युत कनेक्शन, इन्टरनेट, पेयजल सुविधा, खेल मैदान, आई.सी.टी. लैब विकसित की जा रही है।
आदर्श विद्यालयों की स्थापना से राज्य के नामांकन एवं परीक्षा परिणाम में वृद्धि हुई है।
आदर्श विद्यालयों में निम्नांकित कार्यों को प्रमुखता से किया जाना है :-
- समस्त मूलभूत सुविधाऐं जैसे - नामांकन अनुसार कक्षा कक्ष एवं भौतिक संरचना, विकसित खेल मैदान, चारदीवारी, स्वच्छ पेयजल, बालिका-बालिकाओं के लिए पृथक-पृथक शौचालय एवं इन्टरनेट युक्त कम्प्यूटर लैब।
- गुणवतापूर्ण शिक्षा के लिए कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों को विद्यार्थी केन्द्रित, सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन आधारित, गतिविधि आधारित शिक्षा पद्धति लागू की गई है।
- आदर्श विद्यालयों के संस्था प्रधानों को लीडरशिप का प्रशिक्षण दिया गया है।
- इन विद्यालयों में शिक्षकों के समस्त पद प्राथमिकता से भरे जा रहे हैं।
- विद्यालय विकास हेतु जनप्रतिनिधियों, सांसद व विधायक निधि, भामाषाह, दानदाताओं का सहयोग लिया जा रहा है।
- मूल्यांकन एवं मॉनीटरिंग के लिए कलक्टर्स एवं उपखण्ड अधिकारी, उपनिदेशक एवं जिला शिक्षा अधिकारी को विशेष उत्तरदायित्व दिया गया है।
- समस्त आदर्श विद्यालयों में चरणबद्ध रुप से आई.सी.टी. लैब विकसित किये जा रहे हैं।